चैत्यभक्ति एवं वीरभक्ति
“…चैत्यभक्ति एवं वीरभक्ति…” अपरनाम जयति भगवान् स्तोत्र श्री गौतमस्वामी प्रणीत (पद्यानुवाद एवं अर्थ सहित) गणिनी ज्ञानमती श्री गौतमस्वामी श्री वर्धमानस्वामी को प्रत्यक्ष करके ‘जयति भगवान्’ इत्यादि उच्चारण करते हैं— (हरिणी छंद) जयति भगवान् हेमाम्भोजप्रचारविजृंभिता- वमरमुकुटच्छायोद्गीर्णप्रभापरिचुम्बितौ । कलुषहृदया मानोद्भ्रान्ता:परस्परवैरिणो विगतकलुषा: पादौ यस्य प्रपद्य विशश्वसु:।।१।। पद्यानुवाद जय हे भगवन् ! चरण कमल तव, कनक कमल पर करें…