अर्हंत पूजा
अर्हंत पूजा……. –स्थापना–गीताछन्द– अरिहंत प्रभु ने घातिया को, घात निज सुख पा लिया। छ्यालीस गुण के नाथ अठरह, दोष का सब क्षय किया।। शत इन्द्र नित पूजें उन्हें, गणधर मुनी वंदन करें। हम भी प्रभो! तुम अर्चना, के हेतु अभिनंदन करें।।१।। –दोहा– दोष रहित निर्दोष जिन, वीतराग सर्वज्ञ। हित उपदेशी देव को, जजत बनूं आत्मज्ञ।।२।।…