पंचकल्याणक अर्घ्य
पंचकल्याणक अर्घ्य -नरेन्द्र छंद- पुरी अयोध्या में सिद्धार्था, माता के आँगन में। रत्न बरसते पिता स्वयंवर, बाँट रहे जन जन में।। मास श्रेष्ठ वैशाख शुक्ल की, षष्ठी गर्भकल्याणक। इन्द्र महोत्सव करते मिलकर, जजें गर्भकल्याणक।।१।। ॐ ह्रीं वैशाखशुक्लाषष्ठ्यां श्रीअभिनंदननाथजिनगर्भकल्याणकाय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। ऐरावत हाथी पर चढ़कर, इन्द्र शची सह आए। जिनबालक को गोदी में ले, सुरगिरि…