जयमाला
जयमाला…… -नरेन्द्र छंद- जय जय श्री अरिहंत देव, तीर्थंकर प्रभु सुखकारी। जय जय उनके गणधर गुरुवर, भव-भव दु:ख परिहारी।। जय जिनधर्म जिनेश्वर वाणी, समवसरण सुख आलय। गणधर गुरु को नित्य नमूँ मैं, ये हैं सर्व सुखालय।।१।। जंबूद्वीप का भरतक्षेत्र है, पण शत छब्बिस योजन। छह खण्डों में आर्यखण्ड इक, यहाँ काल परिवर्तन।। चौथे युग में…