तीर्थंकर-गणधर-मुनि वंदना
तीर्थंकर-गणधर-मुनि वंदना रचयित्री-गणिनी ज्ञानमती —चौबोल छंद— जय जय वृषभ अजित संभव जिन, अभिनंदन आनंद भरो। जय जय सुमतिनाथ पद्मप्रभ, श्रीसुपार्श्व भव पाश हरो।। जय जय चंद्रप्रभ चंद्रानन, पुष्पदंत शीतल श्रेयांस। जय जय वासुपूज्य विमलप्रभु, जय अनंत जय धर्म जिहाज।।१।। जय जय शांतिनाथ शांतिप्रद, कुंथु अरहजिन मल्लिजिनेश। जय जय मुनिसुव्रत व्रतदाता, नमि नेमिश्वर पार्श्व महेश।। जय…