ग्यारह गणधरदेव स्तोत्र (भगवान महावीर के ११ गणधरदेव का स्तोत्र)
ग्यारह गणधरदेव स्तोत्र (भगवान महावीर के ११ गणधरदेव का स्तोत्र) -गणिनी ज्ञानमती —सोरठा— स्वानुभूति से आप, नित आतम अनुभव करें। द्वादशगण के नाथ, नमूं नमूं नित भक्ति से।। —दोहा— ‘इन्द्रभूति’ गणधर प्रथम, गौतम नाम प्रसिद्ध। जिनकी कृपा प्रसाद से, मोक्षमार्ग है सिद्ध।।१।। ‘‘वायुभूति’ गणधर दुतिय, सर्वऋद्धिपरिपूर्ण। जो जन वंदे भक्ति से, करे मोह अरि चूर्ण।।२।।…