मंगलाचरण
मंगलाचरण चतुर्विंशतितीर्थेशान् , धर्मतीर्थकरान् नुवे। तेषां गणधरान् देवान्, नौमि सर्वार्थसिद्धये।।१।।
मंगलाचरण चतुर्विंशतितीर्थेशान् , धर्मतीर्थकरान् नुवे। तेषां गणधरान् देवान्, नौमि सर्वार्थसिद्धये।।१।।
श्रीगौतमस्वामी प्रणीत प्रतिक्रमण पाठ में परिवर्तन-विचारणीय विषय 1. गणधरवलय मंत्र 2. गणधरवलय मंत्र का पद्यानुवाद 3. मंगलाचरण 4. धर्मतीर्थ की उत्पत्ति 5. महामंत्र—णमोकार मंत्र 6. चत्तारि मंगल पाठ 7. श्री गौतमस्वामी प्रणीत कृतियों का परिचय 8. श्री गौतमस्वामी द्वारा प्रणीत प्रतिक्रमण पाठ के प्रमाण 9. पं. श्री लालाराम जी के चैत्यभक्ति के विषय में उद्गार …
जिनवाणी स्तुति रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती हे सरस्वती माता, अज्ञान दूर कर दो। जग को देकर साता, विज्ञान पूर भर दो।। श्रुत का भण्डार भरा, तेरे ज्ञान की गंगा में। जन मन शृंगार करा, गुरुवर मुनि चन्दा ने।। शृंगार सहित माता, श्रुत ज्ञान पूर्ण कर दो। जग को देकर साता, विज्ञान पूर भर दो।।१।। प्रभुवीर की…
गीत….. रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती तर्ज—सावन का महीना….. गौतम गणधर वाणी, है द्वादशांग का सार। गौतम गणधर वर्ष मनाकर, बोलो जय जयकार।।टेक.।। वीर प्रभू के शिष्य प्रथम, ये गणधर प्रमुख कहाये हैं। नग्न दिगम्बर मुनि बनकर, मनपर्यय ज्ञान को पाये हैं।। प्रभु की दिव्यध्वनि सुन, पा गये निजातम सार। गौतम गणधर वर्ष मनाकर, बोलो जय जयकार।।१।।…
भजन…… रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती तर्ज—जिन्दगी प्यार का गीत है….. गौतम गणधर की वाणी सुनो, ज्ञान अमृत के स्वादी बनो। वीर प्रभु दिव्यध्वनि को सुनो, अपने आतम में उसको गुनो।।टेक.।। आज हम सबका यह पुण्य है, पाया धरती पे नर जन्म है। इसमें जिन भक्ति ही मुख्य है, गुरु की वाणी से शिव सौख्य है। वीर…
श्री गौतम गणधर चालीसा रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती —दोहा— वंदूँ वीर जिनेन्द्र को, मन वच तन कर शुद्ध। उनके गणधर शिष्य को, नमूँ हृदय कर शुद्ध।।१।। श्री गौतम गणधर हुए, गणनायक मुनिराज। जिनकी वाणी सुन बने, अन्य बहुत मुनिराज।।२।। उन गणधर भगवान का, चालीसा सुखकार। है सम्यक् श्रुतज्ञान का, यह भी इक आधार।।३।। —चौपाई— जय हो…
श्री गौतमस्वामी स्तोत्र श्री इन्द्रभूिंत वसुभूतिपुत्रं, पृथ्वीभवं गौतमगोत्ररत्नं। स्तुवन्ति देवा: सुरमानवेन्द्रा:, स गौतमो यच्छतु वाञ्छितं मे।।१।। श्री वर्धमानात् समवाप्य दीक्षां, मुहूर्तमात्रेण कृतानि येन। अङ्गानि पूर्वाणि चतुर्दशानि, स गौतमो यच्छतु वाञ्छितं मे।।२।। श्रीवीरनाथेन पुरा प्रणीतं, मन्त्रं महानन्दसुखाय यस्य। ध्यायन्त्यमी सूरिवरा: समग्रा:, स गौतमो यच्छतु वाञ्छितं मे।।३।। यस्माभिधानं मुनयोऽपि सर्वे, गृह्णन्ति भिक्षां भ्रमणस्य काले। मिष्टान्नपानादिभि: पूर्णकामा:, स…
श्री गौतमस्वामी स्तोत्र रचयित्री-गणिनी ज्ञानमती अर्हत्प्रभुकथितार्थं, ग्रथितं गणनायवै:। भक्त्याहं शिरसा नौमि, श्रुतज्ञानमहोदधिम्।।१।। धर्मतीर्थस्य कर्तारं, महावीरजिनं नुम:। द्वादशांगस्य कर्तारं, नौमि गौतमस्वामिनम्।।२।। इंद्रभूति गणीन्द्र! त्वं, वीरस्य प्रथमो भवे:। सप्तर्द्धीश! चतुर्ज्ञान—धारिन् ! त्वां नौम्यहं मुदा।।३।। मुहुर्मुहुर्नमामि त्वां, वीरप्रभोर्गणीश्वरम्। वीरदिव्यध्वनेर्हेतुं, गणाधीशं गणीश्वरम्।।४।। प्रभोर्दिव्यध्विंन श्रुत्वा, द्वादशांगविधायिने। ग्रंथकर्त्रे गणीन्द्राय, नमो गौतमस्वामिने।।५।। श्रीगणधर स्वामिन्! ते, चैत्यभक्त्यादिभारती। प्रतिक्रमणसूत्राणि, प्राप्य धन्या वयं भुवि।।६।। पायं…
श्री गौतमस्वामी का जीवन परिचय आर्यखंड में एक ब्राह्मण नाम का नगर था। वहाँ एक शांडिल्य नाम का ब्राह्मण रहता था। उसकी भार्या का नाम स्थंडिला था, वह ब्राह्मणी बहुत ही सुन्दर और सर्व गुणों की खान थी। इस दम्पत्ति के बड़े पुत्र के जन्म के समय ही ज्योतिषी ने कहा था कि यह गौतम…
श्री गौतमस्वामी प्रणीत प्रतिक्रमण पाठ में परिवर्तन-परिवर्धन अनुचित है।