अकृत्रिम वृक्ष जिनालय विधान की मंगल आरती
अकृत्रिम वृक्ष जिनालय विधान की मंगल आरती रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती ॐ जय सिद्धायतनं, स्वामी जय सिद्धायतनं। अकृत्रिम वृक्षों पर राजें, जिनमंदिर अनुपम।। ॐ जय.। तीनलोक के मध्यलोक में, द्वीप असंख्य कहे। स्वामी द्वीप….. उनमें ढाईद्वीपों में ही, मानव रहते हैं।। ॐ जय.।।१।। उनकी अकृत्रिम रचना में, हैं दशवृक्ष बने। स्वामी हैं……. जम्बू-शाल्मलि आदिक, में जिनमंदिर…