नियमसार प्राभृत-एक अनुचिन्तन
नियमसार प्राभृत-एक अनुचिन्तन मंगलाचरण मंगलं भगवान वीरो मंगलं गौतमो गणी। मंगलं कुन्दकुन्दाद्यो जैनधर्मोस्तु मंगलं।। आचार्य कुन्दकुन्द देव ने पांच सार रूप ग्रंथों को लिखा है उन्हीं में से नियमसार भी एक है। भगवान महावीर एवं गौतम गणधर के पश्चात् जिनका नाम हम परम आदरपूर्वक लेते हैं, उनकी महिमा शब्दों में वणर््िात नहीं की जा सकती।…