श्री गौतमस्वामी प्रणीत कृतियों का परिचय
श्री गौतमस्वामी प्रणीत कृतियों का परिचय १. चैत्यभक्ति—यह श्रीगौतमस्वामी के मुखकमल से विनिर्गत है। २. निषीधिका दण्डक—इस दैवसिक प्रतिक्रमण के अन्तर्गत प्रतिक्रमण भक्ति में ‘‘निषीधिका दण्डक’’ आता है। इसमें प्रथम पद जो ‘‘णमो णिसीहियाए’’ है, उसका अर्थ टीकाकार ने १७ प्रकार से किया है। इस निषीधिका दण्डक में श्रीगौतमस्वामी ने अष्टापदपर्वत, सम्मेदशिखर, चम्पापुरी, पावापुरी आदि…