श्री ऋषभानन तीर्थंकर पंचकल्याणक स्तुति
श्री ऋषभानन तीर्थंकर पंचकल्याणक स्तुति —गीता छंद— वर धातकी पश्चिम विदेहे, नदी सीतोदा तटे। नगरी सुसीमा पिता नृपकीर्ती प्रजापालक कहें।। माँ वीरसेना गर्भ में, आये प्रभू त्रिभुवनपती। इंद्रादि मिल उत्सव किया, वंदत मिले अनुपम गती।।१।। मृगपती चिन्ह समेत तीर्थंकर, प्रभू शुभ योग में। जन्में उसी क्षण सर्व बाजे, बज उठे सुरलोक में।। तिहुँ लोक में…