द्वितीय वलय में २२ अर्घ्य
द्वितीय वलय में २२ अर्घ्य —दोहा— तीर्थंकर बाईस के, गणधरदेव महान्। पुष्पांजलि से पूजते, बने भव्य गुणवान्।।१।। अथ द्वितीयवलये मंडलस्योपरि पुष्पांजलिं क्षिपेत्। (२२ तीर्थंकर के गणधर देवों के अर्घ्य) —गीता छंद— श्री अजितनाथ जिनेन्द्र के, नब्बे गणाधिप मान्य हैं। ‘केशरीसेन’ प्रधान इनमें, सर्व ऋद्धि निधान हैं।। द्वादश गणों के नाथ द्वादश, अंग के कर्ता तुम्हीं।…