बड़ी जयमाला
“…बड़ी जयमाला…” -दोहा- मोहनीय द्वय आवरण, अंतराय को घात। ज्ञान दर्श सुख वीर्य गुण, प्राप्त किया निर्बाध।।१।। -स्रग्विणीछंद- जै महासौख्य दातार भरतार हो। जै महानंद करतार भव पार हो।। पूरिये नाथ! मेरी मनोकामना। हो सदा स्वात्मतत्वैक की भावना।।२।। वान व्यंतर भवन वासि औ ज्योतिषी। कल्पवासी सभी देव ध्याके सुखी।। पूरिये नाथ! मेरी मनोकामना। हो सदा…