(नैयायिककारक साकल्य को प्रमाण मानते हैं उसका निराकरण)
(नैयायिककारक साकल्य को प्रमाण मानते हैं उसका निराकरण) कारकसाकल्य भी प्रमाण नहीं है क्योंकि वह भी अचेतन है सन्निकर्षादि के समान। यदि कारक साकल्य को प्रमाण मानेंगे तो कर्ता, कर्म आदि को पृथक् करने का अभाव होने से वह प्रमाण अवलंबनरहित और निष्कल हो जावेगा। नैयायिक-कारक और उनके साकल्य में अत्यंत भेद होने से यह…