यतिभावनाष्टक
यतिभावनाष्टक (पद्यानुवाद-गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी) मुनिव्रत लेकर निर्मल स्वतत्त्व, को जान विपिन में जा करके। मोहोदय जनित विविध विध के, संपूर्ण विकल्पों को तजके।। जो मन वायू से अचल एक, चिन्मय में प्रमुदित हो तिष्ठें। वे सर्व परिग्रह रहित मुनी, निष्कंप अचल इव जयवंते।।१।। मन का व्यापार रोक इंद्रिय, विषयों को जीत धैर्यपूर्वक। उच्छ्वासगती…