भगवान पुष्पदंतनाथ-एक दृष्टि में
भगवान पुष्पदंतनाथ-एक दृष्टि में
काकन्दी तीर्थ परिचय:— -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती जैनधर्म के नवमें तीर्थंकर ‘‘श्री पुष्पदन्तनाथ’’ के जन्म से पवित्र काकन्दी नगरी वर्तमान में ‘‘खुखुन्दू’’ नाम से भी प्रसिद्ध है। पूर्वी उत्तरप्रदेश में गोरखपुर के निकट देवरिया जिले में ‘‘खुखुन्दू’’ नाम का एक कस्बा है।जैन परम्परा में अत्यन्त प्राचीन काल से ‘‘काकन्दी’’ का नाम बड़ी श्रद्धा से लिया जाता…
प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर महाराज….. चारित्रचक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज का जीवन परिचय परमपूज्य चारित्रचक्रवर्ती प्रथमाचार्य श्री १०८ शांतिसागर जी महाराज के संघस्थ त्यागीव्रती (शिष्य-शिष्याओं) की नामावली मानव कल्याण का आधार सत्य और अिंहसा गुरूणांगुरु आचार्यश्री शांतिसागर जी के पावन संस्मरण चारित्रचक्रवर्ती आचार्यश्री शांतिसागर जी की यमसल्लेखना के अवसर पर सादर समर्पित विनयांजलि प्रचलित वाद…
प्रथमाचार्य श्री शांतिसागर काव्य कथानक प्रस्तुति-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती (अष्टान्हिका, गुरुपूर्णिमा या दशलक्षण आदि पर्व के अवसर पर इन काव्यों के माध्यम से आचार्यश्री के जीवन का मंचन भी कर सकते हैं) (१) जन्म, बाल विवाह एवं ब्रह्मचारी जीवन भव्यात्माओं! संसार के रंगमंच पर अनन्त प्राणी अपना-अपना जीवन व्यतीत करके चले जाते हैं और पुन: पुन:…
The Embodiment of Peace-Charitra Chakravarti Acharya Shri Shantisagarji Maharaj (quoted from the book ‘Religion & peace’) From hoary antiquity India has been esteemed and venerated for her charming and divine philosophy and highly cultured saints. Countless inhabitants of the country had renounced their material comforts and amenities of life in order to drink deep at…
दिगम्बर जैन आचार्यों एवं मुनियों का जन्मकल्याणक जुलूस में भाग लेना शास्त्रोक्त है! (‘‘आध्यात्मिक ज्योति’’ पुस्तक से साभार) कुछ समय चर्चा के उपरान्त महाराज (मुनि श्री वर्धमानसागर जी, जो आचार्य शांतिसागर महाराज के गृहस्थावस्था के ज्येष्ठ बंधु थे) भगवान के जन्मकल्याणक महोत्सव के लिए चले। वे साधुराज वृद्ध पितामह सदृश ईर्यापथशुद्धिपूर्वक बहुत धीरे-धीरे बड़ी सावधानी…
बाल विवाह प्रतिबंधक कानून के प्रेरक आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज (‘‘आध्यात्मिक ज्योति’’ पुस्तक से साभार) भारत सरकार के द्वारा बाल-विवाह कानून-निर्माण के बहुुत समय पहले ही आचार्य महाराज की दृष्टि उस ओर गई थी। उनके ही प्रताप से कोल्हापुर राज्य में सर्वप्रथम बाल-विवाह प्रतिबंधक कानून बना दिया गया था। इसकी मनोरंजक कथा इस प्रकार…
परिणत प्रज्ञाविवेक परमपूज्य गुरुदेव श्री १०८ समंतभद्रजींना पूर्वावस्थेमध्ये (सप्तम प्रतिमाधारी असताना) कित्येक वेळा त्यांनी मुनी व्हावे असा आग्रह सुरूच होता. अधूनमधून दर्शनाचा योग आला असता ही प्रेरणा व्हायचीच. ब्यावरला ‘श्री’ चा चातुर्मास होता़ ब्र. देवचंदजी तेथे पोहोचले़ त्यावेळीही निदान त्यांनी क्षुल्लकपद (११वी प्रतिमा) तरी घ्यावे असा आग्रह पडला़ देवचंजींची आतून इच्छा होतीच़ तथापि त्यांनी श्रींना…
धवलादि सिद्धान्त ग्रंथों की ताडपत्र पर तथा अन्य हस्तलिखित प्रतियों का परिचय १) धवलादि सिद्धान्त ग्रंथों की एकमात्र प्राचीन प्रति दक्षिण कर्नाटक देश में मूडबिद्री नगर के गुरुवसदि नामक जैन मंदिर में वहाँ के भट्टारक चारुकीर्तिजी महाराज तथा जैन पंचों के अधिकार में है। तीनों ग्रंथों की प्रतियाँ ताडपत्र पर कानडी लिपी में हैं। धवला…
धवलादि ग्रंथों का ताम्रपत्र, फोटो तथा छपाई के व्यय का विवरण ४२६००-०० छपाई (प्रेस की मंजूरी) धवलाग्रंथ का आधा भाग बम्बई के निर्णयसागर प्रेस में, धवलाग्रंथ का आधा भाग और जयधवला का आधा भाग कल्याण प्रेस-सोलापुर में, जयधवला पृष्ठ ६६४ गुरुकुल प्रिंटिग प्रेस-ब्यावर में, महाधवला पूर्ण-सिवनी में, जयधवला संपूर्ण पृष्ठ १९६४ से २३०० सन्मति प्रेस-बाहुबली…