श्री चन्द्रबाहु तीर्थंकर पंचकल्याणक स्तुति
श्री चन्द्रबाहु तीर्थंकर पंचकल्याणक स्तुति —रोला छंद— छह महिने ही पूर्व, धनद रतन बरसाये। गर्भ बसे प्रभु आप, सब जन मन हर्षाये।। इंद्र सुरासुर संघ, उत्सव करते भारी। हम वंदें धर प्रीति, जिनवर पद सुखकारी।।१।। पूरब पुष्करद्वीप, सीता नदि उत्तर में। देवनंदि पितु मात-सती रेणुका गृह में।। चंद्रबाहु जिन जन्म, त्रिभुवन मंगलकारी। इंद्र किया अभिषेक,…