ढाई द्वीप के वृक्षों की संख्या
ढाई द्वीप के वृक्षों की संख्या….
पुष्करवृक्ष एवं शाल्मली वृक्षों पर जिनमंदिर (जम्बूद्वीपपण्णत्ति ग्रंथ से) दोण्हं गिरिरायाजणं दोण्हं इसुगारणामसेलाणं। सामलितरूण दोण्हं दोण्हं वरपउमरुक्खाणं१।।७५।। (तत्त्वार्थवार्तिक ग्रंथ से) सूत्र-पुष्करार्धे च ।।३४। यत्र जम्बूवृक्षस्तत्र पुष्करं सपरिवारं वेदितव्यम्। तन्निवासी द्वीपाधिपतिः, तत एव तस्य द्वीपस्य नाम रूढं पुष्करद्वीप इति। पुष्करार्धद्वीप में पुष्करवृक्ष एवं शाल्मली वृक्षों पर जिनमंदिर पुष्करवरद्वीप सम्बन्धी दो मेरु, दो इष्वाकार नामक शैल, दो…
पुष्करवृक्ष शाल्मलीवृक्ष जिनालय वन्दना…. —नरेन्द्र छंद— पुष्करतरु से अंकित पुष्कर, द्वीप जु सार्थक नामा। सुरगिरि के दक्षिण-उत्तर में, भोग भूमि अभिरामा।। उत्तरकुरु ईशान कोण में, पद्मवृक्ष मन मोहे। देवकुरु नैऋत में शाल्मलि, तरु पे सुरगण सोहें।।१।। (चाल—हे दीन बन्धु……) जय रत्नमयी वृक्ष ये अनादि अनंता। जय पंचरत्न वर्ण सिद्धकूट धरंता।। जय जय जिनेन्द्र देव के,…
धातकीखण्ड द्वीप में विदेह क्षेत्र का मध्य विस्तार आठ लाख, पाँच हजार, एक सौ चौरानवे योजन है। पूर्व धातकीखण्ड व पश्चिम धातकीखण्ड में क्रम से विजयमेरु व अचलमेरु पर्वत हैं। ये मेरु तलभाग में दशहजार योजन विस्तृत है। इसके चारों तरफ भद्रसाल वन है। अत: दोनों तरफ अनुमानत: तीन-तीन लाख योजन विस्तृत देवकुरु-उत्तरकुरु भोगभूमि हैं।…
धातकीखण्ड द्वीप में वृक्षों की संख्या पूर्व धातकीखण्ड द्वीप……. (१) धातकी वृक्ष संबंधी कुल वृक्ष =· २,८०,२४० (२) शाल्मलि वृक्ष संबंधी कुल वृक्ष =· २,८०,२४० कुल मिलाकर= · २,८०, २४०±२,८०,२४० =· ५,६०,४८० वृक्ष पश्चिम धातकीखण्ड द्वीप (१) धातकी वृक्ष संबधी कुल वृक्ष= · २,८०,२४० (२) शाल्मलि वृक्ष संबंधी कुल वृक्ष =·२,८०,२४० कुल मिलाकर =· २,८०,…
धातकीखण्डद्वीप में धातकी एवं शाल्मली वृक्षों पर जिनमंदिर (त्रिलोकसार ग्रंथ से) धादइपुक्खरदीवा धाइदपुक्खरतरूहिं संजुत्ता। तेसि च वण्णणा पुण जंबूदुमवण्णणं व हवे।।९३४।। धातकीपुष्करद्वीपौ धातकीपुष्करतरुभ्यां संयुक्तौ। तयोः च वर्णना पुनः जम्बूद्रुमवर्णना इव भवेत्।९३४।। धावइ। धातकीखण्डपुष्करद्वीपौ धातकीपुष्करतरुभ्यां संयुक्तौ, तयोर्वृक्षयोर्वर्णना पुनर्जम्बूद्रुमवर्णानावद्भवेत्।।९३४।। (जम्बूद्वीपपण्णत्ती ग्रंथ से२) दोण्हं मेरूण तहा दोण्हं इसुगारपव्वदाणं तु। धादगिदुमाण दोण्हं दोण्हं वरसामलिदुमाणं।।२९।। धातकीखण्डद्वीप में धातकी एवं शाल्मली…
धातकीवृक्ष शाल्मलीवृक्ष जिनालय वन्दना —नरेन्द्र छंद— विजयमेरु ईशानदिशा में वृक्ष धातकी सोहे। नैऋत दिश में वृक्ष शाल्मलि सुरगण का मन मोहे।। इक इक के परिवार तरु दो, लाख सहस अस्सी हैं। दोसौ अड़तीस इतने सब में, प्रतिमा शाश्वतकी हैं।।१।। —नाराच छंद— जिनेश बिंब एक सौ सुआठ सर्व वृक्ष में। प्रमुख्यता धरे महान एक ही तरु…
“…जम्बूद्वीप में जम्बूवृक्ष एवं शाल्मली वृक्ष की परिवार वृक्षों सहित संख्या…”
जम्बूवृक्ष एवं शाल्मली वृक्षों पर जिनमंदिर……. जम्बूवृक्ष और शाल्मली वृक्ष का वर्णन एक सा ही है। विशेषता इतनी ही है कि शाल्मलीवृक्ष की दक्षिण शाखा पर जिनमन्दिर है और शेष तीन शाखाओं पर गरुड़पति वेणु और वेणुधारी देवों के आवास हैें तथा शाल्मली वृक्ष के परिवार वृक्षों पर वेणुधारी देवों के परिवारों के आवास हैं।…
जम्बूद्वीप में शाल्मलीवृक्ष पर जिनमंदिर …. (जंबूद्वीपपण्णत्ती ग्रंथ से१) एयं च सयसहस्सा चालीससहस्स होंति णिद्दिट्ठा। एयं च सयं णेया सोलस कमलाण परिसंखा।।१२६।। विक्खंभुच्छेहादी पउमाणं दुगुणदुगुणवड्ढी दु। हिमवंतादो णेया जाव दु णिसहो गिरिंदो य।।१२७।। जंबूदुमेसु एवं परिसंखा होंति जंबुगेहाणं। णवरि विसेसो जाणे चत्तारिदुमाहिया जंबू।।१२८।। जंबूदुमाहिवस्स दु चत्तारि हवंति तस्स महिसीओ। चत्तारि जंबुगेहा देवीणं होंति णिद्दिट्ठा।।१२९।। एदेण…