अथ प्रत्येक अर्घ्य (मंडल पर १०८ अर्घ्य)
अथ प्रत्येक अर्घ्य (मंडल पर १०८ अर्घ्य) -सोरठा- गुण अनंत भंडार, नाम असंख्यों धारते। स्वात्म सौख्य कर्तार, पुष्पांजलि से पूजहूँ।।१।। इति मण्डलस्योपरि पुष्पांजलिं क्षिपेत्। -शंभु छंद- ‘श्रीमान्’ आप अन्तर अनन्त सुख, ज्ञान वीर्य दर्शन श्रीपति। बहिरंग समवसरणादि महा-वैभव प्रातिहार्यमयी श्रीपति।। इन अन्तरंग बहिरंग श्री के, स्वामी प्रभु श्रीमान् बनें। मैं प्रभु नामावलि को पूजूँ, मेरे…