अकृत्रिम जिनमंदिर रचना
अकृत्रिम जिनमंदिर रचना -गणिनी ज्ञानमती श्रीमत्पवित्रमकलंकमनन्तकल्पम्। स्वायंभुवं सकलमंगलमादितीर्थम्।। नित्योत्सवं मणिमयं निलयं जिनानाम्। त्रैलोक्यभूषणमहं शरणं प्रपद्ये।।१।। अकृत्रिम-अनादिनिधन-शाश्वत जिनमंदिर तीनों लोकों के असंख्यात हैं। उन मंदिरों की रचना वैâसी है ? वे मंदिर बड़े से बड़े कितने बड़े हैं और छोटे से भी छोटे कितने छोटे हैं ? इसे ही आप इस पुस्तक में पढ़ेंगे। उत्कृष्ट मंदिर…