बड़ी जयमाला
“…बड़ी जयमाला…” -दोहा- जय जय जय श्री चंद्रप्रभो!, तुम गुणरत्न अनंत। जो गावें गुणमालिका, वे पावें भव अंत।।१।। -चौबोल छंद- मुनिमन समुद्र वर्धन को शशि, मदनजयी मन तमहारी। चपलचित्त गति हरन हेतु, चन्द्रप्रभ पूजा सुखकारी।। भवव्याधिशम को सर्वोषधि, केवलज्ञान के अधिनायक। महामोह निश अंधकार रवि, आश्रित जन यश वर्धनविधु।।२।। शशि सेवितपद परमशांतियुत, भव्य भवाग्नी शांत…