(स्याद्वाद का व्यापार)
(स्याद्वाद का व्यापार) स्यात्-कथंचित् प्रतिपक्ष की अपेक्षा से जो कथन होता है वह २स्याद्वाद कहलाता है। नयनं-वस्तु के विवक्षित धर्म को प्राप्त कराने वाला नय३ है। अब इन दोनों के लक्षण को कहते हुए पहले स्याद्वाद को कहते हैं- वह स्याद्वाद सकलादेशी है-सकल-अनेक धर्मात्मक वस्तु को आदेश कहना सकलादेश है। जैसे-जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश…