(अविनाभाव के भेद)
(अविनाभाव के भेद) उस अविनाभाव के दो भेद हैं-सहभाव और क्रमभाव। सहचारी रूप और रस तथा व्यापक वृक्षत्व और शिंशिपात्व साध्य-साधन में सह अविनाभाव होता है। पूर्वचर-उत्तरचररूप रोहिणी के उदय और कृत्तिका के उदय में तथा कार्य-कारणरूप धूम और अग्नि में क्रम अविनाभाव है। भावार्थ-यहाँ पर आचार्य ने अनुमान का लक्षण बतलाते हुए साध्य एवं…