श्री संभवनाथ विधान
श्री संभवनाथ विधान….. मंगलाचरण 1. अर्हन्त पूजा 2. भगवान श्री संभवनाथ तीर्थंकर पूजा 3. बड़ी जयमाला 4. प्रशस्ति 5. श्रावस्ती तीर्थ क्षेत्र पूजा 6. भगवान श्री संभवनाथ की आरती 7.श्रावस्ती तीर्थ की आरती 8. भजन
श्री संभवनाथ विधान….. मंगलाचरण 1. अर्हन्त पूजा 2. भगवान श्री संभवनाथ तीर्थंकर पूजा 3. बड़ी जयमाला 4. प्रशस्ति 5. श्रावस्ती तीर्थ क्षेत्र पूजा 6. भगवान श्री संभवनाथ की आरती 7.श्रावस्ती तीर्थ की आरती 8. भजन
भजन…… -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती तर्ज—रोम-रोम से निकले…… रोम-रोम से निकले माता नाम तुम्हारा! हाँ नाम तुम्हारा।। ऐसा दो वरदान कि पाऊं, निश दिन दर्श तुम्हारा।। रोम……।।टेक.।। ज्ञानमती माता के पद में, जग ने तुमको पाया। एक सूर्य सम पूर्व दिशा ने, मानो तुम्हें उगाया।। पैâला दो आलोक ज्ञान का, यही तुम्हारा नारा।। रोम………।।१।। श्री चारित्र…
श्रावस्ती तीर्थ की आरती…… -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती तर्ज—मेरे देश की धरती…………. तीरथ श्रावस्ती की आरति को दीप जला कर लाए, तीरथ श्रावस्ती।।टेक.।। श्री सम्भव जिन के गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान चार कल्याण हुए। दृढ़राज पिता अरु मात सुषेणा, प्रभू जन्म से धन्य हुए।। नगरी में हर्ष अपार हुआ………. नगरी में हर्ष अपार हुआ, घण्टे शहनाई…
भगवान श्री संभवनाथ की आरती -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती तर्ज—मैं तो आरती उतारूं रे…….. मैं तो आरती उतारूं रे, सम्भव जिनेश्वर की, जय जय जिनेन्द्र प्रभु, जय जय जय-२।।टेक.।। इस युग के तृतीय प्रभू, तुम्हीं तो कहलाए, तुम्हीं…… पिता दृढ़रथ सुषेणा मात, पा तुम्हें हरषाए, पा……… श्रावस्ती धन्य-धन्य, इन्द्रगण प्रसन्नमन, उत्सव मनाएं रे हो जन्म उत्सव…
श्रावस्ती तीर्थ क्षेत्र पूजा…. रचयित्री-आर्यिका चन्दनामती स्थापना (शंभु छंद) श्री संभव जिन के जन्मकल्याणक, से पावन श्रावस्ती है। जहाँ मात सुषेणा के आँगन में, हुई रत्न की वृष्टी है।। उस श्रावस्ती तीरथ की पूजन, करके पुण्य कमाना है। आह्वानन स्थापन करके, आत्मा में तीर्थ बसाना है।। ॐ ह्रीं तीर्थंकर श्रीसंभवनाथजन्मभूमिश्रावस्तीतीर्थक्षेत्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं।…
प्रशस्ति…. शांतिनाथ भगवान को, नमन करूँ शत बार। कुंदकुंद गुरुदेव को, वंदूँ भक्ति अपार।।१।। कुंदकुंद आम्नाय में, गच्छ सरस्वति मान्य। बलात्कारगण सिद्ध है, उनमें सूरि प्रधान।।२।। सदी बीसवीं के प्रथम, शांतिसागराचार्य। उनके पट्टाचार्य थे, वीरसागराचार्य।।३।। देकर दीक्षा आर्यिका, दिया ज्ञानमति नाम। गुरुवर कृपाप्रसाद से, सार्थ हुआ कुछ नाम।।४।। वीर अब्द पच्चीस सौ, उनतालिस सुखकंद। चैत्र…
“…बड़ी जयमाला…” -दोहा- मोहनीय द्वय आवरण, अंतराय को घात। ज्ञान दर्श सुख वीर्य गुण, प्राप्त किया निर्बाध।।१।। -स्रग्विणीछंद- जै महासौख्य दातार भरतार हो। जै महानंद करतार भव पार हो।। पूरिये नाथ! मेरी मनोकामना। हो सदा स्वात्मतत्वैक की भावना।।२।। वान व्यंतर भवन वासि औ ज्योतिषी। कल्पवासी सभी देव ध्याके सुखी।। पूरिये नाथ! मेरी मनोकामना। हो सदा…
भगवान श्री संभवनाथ तीर्थंकर पूजा……… -अथ स्थापना-अडिल्ल छंद- संभवनाथ तृतीय जिनेश्वर ख्यात हैं। भववारिधि से तारण तरण जिहाज हैं।। भक्तिभाव से करूँ यहाँ प्रभु थापना। पूजूँ श्रद्धाधार करूँ हित आपना।।१।। ॐ ह्रीं अर्हं श्रीसंभवनाथतीर्थंकर! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं अर्हं श्रीसंभवनाथतीर्थंकर! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं। ॐ ह्रीं अर्हं श्रीसंभवनाथतीर्थंकर! अत्र मम…
अर्हन्त पूजा…. -स्थापना-गीता छन्द- अरिहंत प्रभु ने घातिया को, घात निज सुख पा लिया। छ्यालीस गुण के नाथ अठरह, दोष का सब क्षय किया।। शत इन्द्र नित पूजें उन्हें, गणधर मुनी वंदन करें। हम भी प्रभो! तुम अर्चना, के हेतु अभिनंदन करें।।१।। ॐ ह्रीं णमो अरिहंताणं श्री अर्हत्परमेष्ठि समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्नाननं। ॐ…
“…तीर्थंकर जन्माभिषेक महिमा…” 1. तीर्थंकर जन्माभिषेक महिमा 2. सुदर्शनमेरु भक्ति 3. तीर्थंकर जन्माभिषेक महिमा(जंबूदीवपण्णत्ति से) 4. तीर्थंकर जन्माभिषेक महिमा (सिद्धान्तसार दीपक से) 5. त्रयोदशं पर्व (आदिपुराण से) 6. तीर्थंकर जन्माभिषेक महिमा(हरिवंशपुराण) 7. एकोनचत्वारिंशः सर्गः 8. चतुर्दशं पर्व 9. सुमेरु वंदना 10. भजन