ध्यान साधना
ध्यान साधना….. ध्यान कैसे करें? समवसरण का वर्णन ध्यानसूत्र प्राणायाम सूक्ष्मयोगासन की १६ विधियाँ ध्यान भजन
ध्यान साधना….. ध्यान कैसे करें? समवसरण का वर्णन ध्यानसूत्र प्राणायाम सूक्ष्मयोगासन की १६ विधियाँ ध्यान भजन
जैनधर्म एवं भगवान ऋषभदेव…. जैनधर्म एवं भगवान ऋषभदेव जैनधर्म के चौबीस तीर्थंकर अनादि जैन तीर्थ अयोध्या : एक पौराणिक महत्व शाश्वत तीर्थंकर जन्मभूमि अयोध्या : वर्तमान स्वरूप शाश्वत तीर्थभूमियाँ : अयोध्या एवं सम्मेदशिखर जी मांगीतुंगी (नासिक) में हुआ भगवान ऋषभदेव की विश्व में सबसे ऊंची जैन प्रतिमा का निर्माण मांगीतुंगी में निर्मित१०८ फुट भगवान ऋषभदेव…
मांगीतुंगी में निर्मित १०८ फुट भगवान ऋषभदेव प्रतिमा एवं ऋषभदेवपुरम् तीर्थ का स्वर्णिम विकास दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र मांगीतुंगी (नासिक-महा.) के ऋषभगिरि पर्वत पर अखण्ड पाषाण में १०८ फुट उत्तुंग भगवान ऋषभदेव प्रतिमा के निर्माण हेतु सर्वप्रथम ‘‘भगवान श्री ऋषभदेव १०८ फुट विशालकाय दिगम्बर जैन मूर्ति निर्माण कमेटी’’ का गठन ४ दिसम्बर १९९८ को नासिक से…
मांगीतुंगी (नासिक) में हुआ भगवान ऋषभदेव की विश्व में सबसे ऊंची जैन प्रतिमा का निर्माण -डॉ. जीवन प्रकाश जैन, जम्बूद्वीप भारत देश में नया कीर्तिमान-सम्पूर्ण भारत देश के लिए वर्तमान में एक कीर्तिमान स्थापित हुआ है। यह दिगम्बर जैन समाज द्वारा किया गया विश्व का एक ऐसा अद्भुत कार्य है, जिसके माध्यम से आज समूचे…
शाश्वत तीर्थभूमियाँ : अयोध्या एवं सम्मेदशिखर जी जैनधर्म में दो शाश्वत तीर्थभूमियाँ मानी गयी हैं। १. अयोध्या, २. सम्मेदशिखर। अयोध्या नगरी को जैनधर्म में शाश्वत तीर्थंकर जन्मभूमि कहा गया है अर्थात् प्रत्येक काल में होने वाले तीर्थंकरों का जन्म अयोध्या में ही होता है अत: यह अयोध्या अनंतानंत तीर्थंकरों की जन्मभूमि कहलाती है। इसी के…
शाश्वत तीर्थंकर जन्मभूमि अयोध्या : वर्तमान स्वरूप —प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती वीर निर्वाण के लगभग सौ वर्ष बाद मगध नरेश नंदिवर्धन ने अयोध्या में मणिपर्वत नामक उत्तुंग जैन स्तूप बनवाया था, जो आज मणि पर्वत टीला के नाम से प्रसिद्ध है। मौर्य सम्राट संप्रति और वीर विक्रमादित्य ने इस क्षेत्र के पुराने जिनमंदिरों का जीर्णोद्धार एवं…
अनादि जैन तीर्थ अयोध्या : एक पौराणिक महत्व जिनेन्द्रदेव द्वारा कथित मध्यलोक के बीचों-बीच जंबूद्वीप है। इसके मध्य स्थित सुदर्शनमेरु के दक्षिण में भरतक्षेत्र है। इसके आर्यखण्ड की राजधानी ‘‘अयोध्या’’ है। इसे ‘‘साकेता’’ ‘‘विनीता’’ और ‘‘सुकोशला’’ भी कहते हैं। इस आर्यखण्ड में उत्सर्पिणी-अवसर्पिणी के दोनों कालों में सुषमासुषमा आदि नाम से छह कालों का परिवर्तन…
१. अनादिनिधन णमोकार मंत्र एवं चत्तारि मंगल पाठ २. अनादिनिधन महामंत्र, तीर्थ आदि जो अनादि अनंत हैं ३. अनादि जैनधर्म-मंगलाचरण ४. चौबीस तीर्थंकरों के नाम ५. अधिकतम तीर्थंकर संख्या ६. भागवत में ऋषभदेव के बारे में ७. वायुपुराण में ऋषभदेव के पुत्र भरत से देश का नाम भारत है ८. वैदिक ग्रंथों में ऋषभदेव के…
पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी के दीक्षित जीवन के ६९ चातुर्मास (१९५३-२०२१)