रोहिणी व्रत
1. ११ जनवरी २०२५ 2. ०७ फरवरी २०२५ 3. ०६ मार्च २०२५ 4. ०२ अप्रैल २०२५ 5. २९ अप्रैल २०२५ 6. २७ मई २०२५ 7. २४ जून २०२५ 8. २१ जुलाई २०२५ 9. १७ अगस्त २०२५ 10. १४ सितम्बर २०२५ 11. ११ अक्टूबर २०२५ 12. ०७ नवम्बर २०२५ 13. ०५ दिसम्बर २०२५
1. ११ जनवरी २०२५ 2. ०७ फरवरी २०२५ 3. ०६ मार्च २०२५ 4. ०२ अप्रैल २०२५ 5. २९ अप्रैल २०२५ 6. २७ मई २०२५ 7. २४ जून २०२५ 8. २१ जुलाई २०२५ 9. १७ अगस्त २०२५ 10. १४ सितम्बर २०२५ 11. ११ अक्टूबर २०२५ 12. ०७ नवम्बर २०२५ 13. ०५ दिसम्बर २०२५
January दिनांक तिथि कल्याणक ०९ जन. २०२५ पौष शुक्ला दशमी भगवान शांतिनाथ केवलज्ञान १० जन. २०२५ पौष शुक्ला एकादशी भगवान अजितनाथ केवलज्ञान १२ जन….
“…वन्दना के ३२ दोष…” किदियम्मंपि करंतो ण होदि किदयम्मणिज्जराभागी। बत्तीसाणण्णदरं साहू ठाणं विराहंतो१।।६१०।। गाथार्थ-इन बत्तीस स्थानों में से एक भी स्थान की विराधना करता हुआ साधु कृतिकर्म को करते हुए भी कृतिकर्म से होने वाली निर्जरा को प्राप्त नहीं होता है।।६१०।। वन्दना के ३२ दोष हैं। इन दोषों से रहित वन्दना ही शुद्ध वन्दना है…
गुरुवन्दना (हिन्दी पद्यानुवाद) नमोऽस्तु आचार्यवन्दनायां……..सिद्धभक्तिकायोत्सर्गं करोम्यहम्। (९ जाप्य) लघु सिद्धभक्ति- समकित दर्शनज्ञान वीर्य, सूक्ष्मत्व तथा अवगाहन हैं। अव्याबाध अगुरुलघु ये, सिद्धों के आठ महागुण हैं।।१।। तप से सिद्ध नयों से सिद्ध, सुसंयमसिद्ध चरित सिद्धा। ज्ञान सिद्ध दर्शन से सिद्ध, नमूँ सब सिद्धों को शिरसा।।२।। अंचलिका- हे भगवन् ! श्री सिद्धभक्ति का, कायोत्सर्ग किया उसका। आलोचन…
देववंदना (सामायिक) (हिन्दी पद्यानुवाद) ईर्यापथ शुद्धि दोहा- हे भगवन् ! ईर्यापथिक, दोष विशोधन हेतु। प्रतिक्रमण विधि मैं करूँ, श्रद्धा भक्ति समेत।।१।। चौबोल छंद- गुप्ति रहित हो षट्कायों की, मैं विराधना जो करता। शीघ्र गमन प्रस्थान ठहरने, चलने में अरु भ्रमण किया।।२।। प्राणीगण पर गमन, बीज पर गमन, हरित पर चला कहीं। मल मूत्रादि नासिका मल…
“…ईर्यापथशुद्धि भक्ति (हिन्दी पद्यानुवाद)…” हे भगवन् ! मैं निःसंग हो, जिनगृह की प्रदक्षिणा करके। भक्ती से प्रभु सन्मुख आकर, करकुड्मल शिर नत करके।। निंदारहित दुरितहर अक्षय, इंद्रवंद्य श्री आप्त जिनेश। सदा करूँ संस्तवन मोहतमहर! तव ज्ञानभानु परमेश।।१।। जिनमंदिर श्रीयुत पावन, अकलंक अनंतकल्प सच में। स्वयं हुए अकृत्रिम सब, मंगलयुत प्रथम तीर्थ जग में।। नित्य महोत्सव…
नंदावति व्रतकथा. व्रतविधि – आषाढ शु. ७ दिवशीं या व्रतिक्रांनीं एकभुक्ति करावी. आणि ८ दिवशीं प्रभातीं शुचिजलानें अभ्यंगस्नान करून अंगा- वर दृढौत वस्ने धारण करावीत. सर्व पूजासाहित्य इातो घेऊन जिनालयास जावें. मंदिरास तीन प्रदक्षिणा देऊन ईर्यापथशुद्धिपूर्वक्क जिनेंद्रास भक्तोनें साष्टांग पणान करावा. पीठावर संभवनाथ तोर्थकर प्रतिमा त्रिमुख यक्ष व प्रज्ञप्ति यज्ञीसह स्थापून तिला पंचामृतांनीं अभि-…
षट्कर्म व्रतकथा. व्रतविधि – आषाढ शु. ५ दिवशों या व्रतिक्रांनों एकभुक्ति करावी. ६ दिवशी प्रातःकाळों शुविज्ञकार्ने अभ्यंगस्नान करून अंगावर दृढधीत वर्षे धारण करावीत. सर्व पूजासामग्री हाती घेऊन जिनाल यास जावे. तेथे गेल्यावर मंदिरास तीन प्रदक्षिणा देऊन ईर्वापयशुद्धि- पूर्वक जिनेंद्रास भक्तीने साष्टांग नमस्कार करावा. पीठावर पद्मप्रभ तोर्वेकर प्रतिमा कुसुपवरयक्ष मनोवेगा यक्षोसइ स्थापून तिला पंचा- मृतांनीं…
( १३८) षोडशक्रिया व्रतकथा. व्रतविधि – आषाढ शु. ७ दिवशीं या ब्रतिकांनीं एकभुक्ति करावी. व ८ दिवशीं प्रभातीं शुचिज्जलानें अभ्यंगस्नान करून अंगावर दृढधीतवस्ने धारण करावीत. सर्व पूजाद्रव्ये हातीं घेऊन जिनालयास जावें. मंदिरास तीन प्रदक्षिणा देऊन ईर्यापथशुद्धिपूर्वक जिनेंद्रास मक्तीने साष्टांग नमस्कार करावा. पीठावर शांतिनाथ तीर्थकर प्रतिमा गरुडयक्ष महामानसी यक्षीसह आणि नंदीश्वर बिंब स्थापून त्यांचा पंचामृतांनीं अभिषेक…
आचार्य वंदना…… गुरु की तीन प्रदक्षिणा देकर कम से कम एक हाथ दूर से गवासन से बैठकर प्रतिज्ञा करें। नमोऽस्तु आचार्यवंदनायां……सिद्धभक्तिकायोत्सर्गं करोम्यहं। (पुनः पंचांग नमस्कार करके खड़े होकर तीन आवर्त एक शिरोनति करके मुक्ताशुक्ति मुद्रा से वृहत् या लघु सामायिक दण्डक पढ़ें। तीन आवर्त एक शिरोनति करके २७ उच्छवास में ९ बार णमोकार मंत्र का…