मंगलगोचर मध्यान्ह देववंदना क्रिया
“…मंगलगोचर मध्यान्ह देववंदना क्रिया…” नमोऽस्तु मंगलगोचरमध्यान्हदेववंदनाक्रियायां पूर्वाचार्यानुक्रमेण सकल-कर्मक्षयार्थं भावपूजावंदनास्तवसमेतं सिद्धभक्तिकायोत्सर्गं करोम्यहं। इस प्रतिज्ञा वाक्य को बोलकर पंचांग नमस्कार करें। पुनः तीन आवर्त एक शिरोनति करके मुक्ताशुक्ति मुद्रा से सामायिक दंडक पढ़ें। (णमो अरिहंताणं इत्यादि सामायिक दंडक, ९ जाप्य, थोस्सामिस्तव पढ़कर सिद्धभक्ति पढ़ें।) सामायिक दण्डक णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।।…