वर्षायोग निष्ठापन क्रिया
वर्षायोग निष्ठापन क्रिया वर्षायोग प्रतिष्ठापना में जो-जो भक्तियाँ पढ़ी जाती हैं वे ही सारी भक्तियाँ यहाँ भी पढ़ी जाती हैं अन्तर इतना ही है कि ‘प्रतिष्ठापन’ के स्थान पर ‘निष्ठापन’ बोलें। यथा- नमोऽस्तु वर्षायोगनिष्ठापनक्रियायां पूर्वाचार्यानुक्रमेण सकलकर्मक्षयार्थं भावपूजावंदनास्तवसमेतं सिद्धभक्तिकायोत्सर्गं करोम्यहं। ऐसे ही वर्षायोगप्रतिष्ठापन की पूरी क्रिया करनी चाहिए। वर्षायोग कितने दिनों का है? आषाढ़ शुक्ला चतुर्दशी…