वर्षायोग स्थापना विधि
वर्षायोग स्थापना विधि नमोऽस्तु वर्षायोगप्रतिष्ठापनक्रियायां पूर्वाचार्यानुक्रमेण सकलकर्मक्षयार्थं भावपूजावंदनास्तवसमेतं सिद्धभक्तिकायोत्सर्गं करोम्यहं। विशेष-कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी की पिछली रात्रि में यही विधि करके वर्षायोग समापन किया जाता है। मुक्ताशुक्ति मुद्रा से तीन आवर्त एक शिरोनति करके पृ. १२ से सामायिक दंडक पढ़ें। पुनः ९ जाप्य करके पृ. १२ से थोस्सामिस्तव पढ़कर ‘‘सिद्धानुद्धूत’’ इत्यादि सिद्धभक्ति पढ़ें। सिद्धभक्ति सिद्धानुद्धूतकर्मप्रकृतिसमुदयान्साधितात्मस्वभावान् ।…