पंचम परिच्छेद का सार
पंचम परिच्छेद का सार एकांतरूप अपेक्षा-अनपेक्षा का खंडन और स्याद्वाद सिद्धि (कारिका ७३ से ७५ तक) बौद्ध का कहना है कि धर्म और धर्मी परस्पर में एक-दूसरे की अपेक्षा से ही सिद्ध होते हैं। जैसे कि मध्यमा और अनामिका अंगुली। अत: ये धर्म-धर्मी कल्पित हैं, वास्तविक नहीं हैं क्योंकि ये निर्विकल्प ज्ञान में प्रतिभासित नहीं…