अथ नवम: परिच्छेद:
अथ नवम: परिच्छेद: क्या पर को सुख-दु:ख देने से ही पुण्य-पाप बंध निश्चित है ? पापं धु्रवं परे दु:खात् पुण्यं च सुखतो यदि। अचेतनाऽकषायौ च, बध्येयातां निमित्तत:।।९२।। यदि पर को दु:ख देने से ही, पाप बंध सुख से हो पुण्य। कंटक आदि अचेतन को तब, पाप बंध हो पय१ को पुण्य।। यदि चेतन नहिं बंधते…