मेरे स्वप्नों की मंजिल का नहीं किसी से नाता
मेरे स्वप्नों की मंजिल का नहीं किसी से नाता -सुभाषचंद जैन, टिकेटनगर मेरे मन का मोह हृदय का गीत किसे है भाता। मेरे स्वप्नों की मंजिल का नहीं किसी से नाता।। माँ की यादों के सागर में मैं नित विचरण करता। हर प्यासी गागर अपने आँसू से भरता रहता।। नहीं भूल पाता हूँ वह मधुरिम…