चारित्रशुद्धिव्रत पूजा
“…चारित्रशुद्धिव्रत पूजा…” (बारह सौ चौंतिस व्रत पूजा) रचयित्री-गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी -स्थापना-शंभुछंद- सम्यक्चारित्र त्रयोदशविध, ये परमानंद प्रदाता हैं। इनके बारह सौ चौंतिस व्रत, ये परमसिद्धि के दाता हैं।। इनका वन्दन पूजन करके, विधिवत् आराधन करते हैं। निज हृदय कमल में धारण कर, हम स्वात्म सुधारस भरते हैं।।१।। ॐ ह्रीं त्रयोदशचारित्रभेदस्वरूप-एकसहस्रद्विशतचतुस्त्रिंशन्मंत्र-समूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं।…