श्री शांतिनाथ स्तुति:
श्री शांतिनाथ स्तुति: (श्री समन्तभद्राचार्य रचित बृहत्स्वयंभू स्तोत्र से) (उपजाति छंद) विधाय रक्षां परत: प्रजानां, राजा चिरं योऽप्रतिम-प्रताप:। व्यधात् पुरस्तात् स्वत एव शान्ति- र्मुनिर्दयामूर्तिरिवाऽघ-शान्तिम्।।१।। चक्रेण य: शत्रु-भयज्र्रेण, जित्वा नृप: सर्व नरेन्द्र-चक्रम्। समाधि-चक्रेण पुनर्जिगाय, महोदयो दुर्जय-मोह-चक्रम्।।२।। राज-श्रिया राजसु राज-सिंहो, रराज यो राजसुभोग-तन्त्र:। आर्हन्त्य-लक्ष्म्या पुनरात्म-तन्त्रो, देवाऽसुरोदार-सभे रराज।।३।। यस्मिन्नभूद्राजनि राज-चक्रं, मुनौ दया-दीधिति धर्म-चक्रम्। पूज्ये मुहु: प्राञ्जलि देव-चक्रं, ध्यानोन्मुखे…