भजन
भजन तर्ज-पंखिड़ा………. वंदना……………वंदना…………. वंदना करूँ मैं गणिनी ज्ञानमती की। बीसवीं सदी की पहली बालसती की।।वंदना…….. इनके मात-पिता का, गुणानुवाद मैं करूँ। इनकी जन्मभूमि का भी, साधुवाद मैं करूँ।। मिलके आओ, मिलके गाओ, मिलके करो जी। वन्दना चरण में करके, पुण्य भरो जी।।वंदना…।।१।। इनके ज्ञान की प्रशंसा, सारी दुनिया करती है। इनके नाम की प्रशंसा, पुस्तकों…