(शिष्य के भेद)
(शिष्य के भेद) तात्पर्यवृत्ति-प्रतिपादन के योग्य शिष्य चार प्रकार के होते हैं। व्युत्पन्न, अव्युत्पन्न, संदिग्ध और विपर्यस्त। उनमें से आदि के एवं अंत के-व्युत्पन्न और विपर्यस्त ऐसे दो प्रकार के शिष्य तो समझाने योग्य नहीं हैं क्योंकि उनमें व्युत्पन्न होने की-समझने की इच्छा का अभाव है। अव्युत्पन्न-अज्ञानी में तो लोभ, भय आदि से समझने की…