आरती
“आरती” ॐ जय जय रत्नमती, माता जय जय रत्नमती। मनहारी सुखकारी, तेरी शांत छवी।।ॐ जय.।।टेक.।। मोहिनि से बन रत्नमती यह, पद सच्चा पाया। माता……. कितने रत्न दिये तुम जग को, तज ममता माया।।ॐ जय.।। पूर्व दिशा रवि से मुखरित हो, जग तामस हरतीं। माता……. ज्ञानमती सा रवि प्रगटाकर, मिथ्यातम हरतीं।। ॐ जय.।। रत्नत्रय में लीन…