जलचर जीव कहाँ हैं?
जलचर जीव कहाँ हैं? कर्मभूमि से सम्बद्ध लवण समुद्र, कालोद और अंतिम स्वयंभूरमण समुद्र में ही जलचर जीव है। शेष समुद्रों में नहीं हैं।
जलचर जीव कहाँ हैं? कर्मभूमि से सम्बद्ध लवण समुद्र, कालोद और अंतिम स्वयंभूरमण समुद्र में ही जलचर जीव है। शेष समुद्रों में नहीं हैं।
समुद्र के जल का स्वाद लवण समुद्र का जल खारा है, वारुणीवर का जल मदिरा के समान, क्षीरवर समुद्र का दुग्ध के समान एवं घृतवर समुद्र का जल घी के समान है। कालोदधि, पुष्कर समुद्र और स्वयंभूरमण समुद्र इन तीनों का जल सामान्य जल के सदृश है।
तिर्यक् लोक का वर्णन मंदर पर्वत के मूल से १ लाख ४० योजन प्रमाण ऊँचा (मोटा) एक राजू लंबे, चौड़े क्षेत्र में तिर्यक् त्रसलोक स्थित है। इस मध्यलोक में पच्चीस कोड़ाकोड़ी उद्धारपल्य प्रमाण असंख्यातों द्वीप समूह हैं। ये गोल हैं इनमें से पहला जम्बूद्वीप बीच में है आगे-आगे एक दूसरे को वेष्टित करते हुए असंख्यातों…
मनुष्यगति में सम्यक्त्व के कारण कितने ही मनुष्य उपदेश से, कितने ही स्वभाव से, कितने जातिस्मरण से, कितने ही जिनेन्द्र भगवान के कल्याणक आदि को देखने से, कितने ही जिनबिम्ब दर्शन से सम्यक्त्व को ग्रहण करते हैं। कर्मभूमि में मनुष्य देशव्रत, महाव्रत आदि ग्रहण करके सिद्धगति को भी प्राप्त कर लेते हैं। जितने क्षेत्र, नदी…
मनुष्यों को सुख कहाँ-कहाँ पर है? मनुष्यों को १२६ भोगभूमियों में अर्थात् ३० भोगभूमि तथा ९६ कुभोगभूमि में केवल सुख और कर्म भूमियों में सुख-दुख दोनों ही होते हैं।
भरत आदि क्षेत्रों में गुणस्थानों का वर्णन भरत, ऐरावत के ५-५ आर्यखंडों में जघन्य रूप से मिथ्यात्व गुणस्थान और उत्कृष्ट रूप से कदाचित चौदह गुणस्थान तक पाये जाते हैं। पाँच विदेहों के १६० आर्यखंडों में जघन्य रूप से ६ गुणस्थान तथा उत्कृष्ट रूप से १४ गुणस्थान पाये जाते हैं। सब भोगभूमिजों में ४ गुणस्थान तक…
मनुष्यों का अस्तित्व कहाँ तक है? जम्बूद्वीप, धातकीखंड और अर्ध पुष्कर द्वीप ऐसे ढाई द्वीप और लवणसमुद्र, कालोद समुद्र इन दो समुद्रों के भीतर मानुषोत्तर पर्वत पर्यंत ही मनुष्य पाये जाते हैं अत: इस ४५००००० लाख योजन प्रमाण व्यास वाले क्षेत्र को ‘मानुष क्षेत्र’ कहते हैं एवं इस मानुषोत्तर पर्वत के आगे मनुष्य नहीं जा…
पुष्करार्द्ध द्वीप का वर्णन इस द्वीप में मानुषोत्तर पर्वत बीचों-बीच में वलयाकार सदृश है इससे पुष्कर द्वीप के दो भाग हो गए हैं। अत: मानुषोत्तर पर्वत के इधर के अर्ध भाग को पुष्करार्ध कहा गया है।इस पुष्करार्ध में भी धातकी खंड के सदृश दक्षिण-उत्तर भाग में दो इष्वाकार पर्वत हैं जो कि आयाम में दुगने…
पुष्कर द्वीप एवं मानुषोत्तर पर्वत का वर्णन इस कालोदधि समुद्र को वेष्टित करके १६ लाख योजन विस्तृत पुष्कर द्वीप है। कालोदधि समुद्र की जगती से चारों ओर ८ लाख योजन जाकर मानुषोत्तर पर्वत उस द्वीप को सब तरफ से वेष्टित किये हैं। इस पर्वत की ऊँचाई १७२१ योजन और नींव ४३० योजन १ कोस प्रमाण…