आचार्य वीरसागर प्रश्नोत्तरी प्रस्तुतकर्ता-पं. नरेश कुमार जैन ‘प्रतिष्ठाचार्य’, जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर प्रश्न १ -बीसवीं शताब्दी के प्रथम आचार्य, जिन्होंने लुप्त मुनिपरम्परा को जीवनदान दिया, उनका नाम बताओ? उत्तर -चारित्रचक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी महाराज। प्रश्न २ -चारित्रचक्रवर्ती आचार्य श्री शांतिसागर जी के दीक्षा गुरु कौन थे? उत्तर -मुनि श्री १०८ देवेन्द्रकीर्ति जी महाराज। प्रश्न ३ -चारित्रचक्रवर्ती आचार्य…
आचार्यश्री वीरसागर जी महाराज- एक स्वर्णिम व्यक्तित्त्व -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती ओह! कितना सुन्दर स्वप्न! प्रातःकाल की मधुरिम बेला में स्वप्निल निद्रा से उठककर भाग्यवती ने प्रभु का स्मरण किया। रात्रि के पिछले प्रहर में देखा हुआ स्वप्न तो शायद सत्य होता है, यही सोचती हुई भाग्यवती मन में उस स्वप्न के बारे में चिन्तन करती…
“…आचार्य श्री वीरसागर शतक….” (हिन्दी अनुवाद) -गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी भव्यों के हृदय-कमलों को विकसित करने में सूर्य के समान, सर्वसिद्धि को प्रदान करने वाले, सिद्धार्थ महाराज के पुत्र श्री वीर भगवान को मैं भक्तिपूर्वक नित्य ही नमस्कार करता हूँ। सर्व भाषामयी होकर भी जो अनक्षरी है, ऐसी जिनवाणी की मैं वंदना करता हूँ…
“…आचार्य श्री वीरसागर शतकम्…” -गणिनीप्रमुख आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी सिद्धार्थस्यात्मजं वीरं, सर्वसिद्धिप्रदायकम्। भव्यचित्ताब्जभास्वंतं, भक्त्या नित्यं नमाम्यहं।।१।। वाणीमनक्षरीं वंदे, सर्वभाषामयीमपि। यत्प्रसादाद् भवेद् वाणी, स्वपराल्हादकारिणी।।२।। गणेशान्पाठकान्साधून्, सर्वविघ्नविनायकान्। वंदे सर्वानिमान् नित्यं, भक्त्या तत्तद्गुणाप्तये।।३।। कलौ काले मुनेर्धर्म-प्रवर्ता शान्तिसागर:। चारित्रचक्रभृत्तस्मै, नमोऽस्तु स्यात् त्रिशुद्धित:।।४।। यत्पादाम्बुजमाश्रित्य, भव्याश्चारित्रमाप्नुवन्। संसाराम्बुधितीर्णाय, नोऽव्यात्स: सूरिपुुंगव:।।५।। श्री वीरसागराचार्यं, नत्वा तद्भक्तिप्रेरित:। पावनं जीवनं तस्य, मनाक् वक्तुं किलोत्सहे।।६।। महाराष्ट्रप्रदेशे स्यादौरंगाबादपत्तन:।…
आओ जानें ! तेरहद्वीप रचना में क्या-क्या है? प्रस्तुति—प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती धर्मप्रेमी बंधुओं! हस्तिनापुर की पावन वसुन्धरा पर नवनिर्मित तेरहद्वीप रचना के बारे में आपको जिज्ञासा होगी कि यह क्या है? कहाँ है? और इसे धरती पर साकार करने का लक्ष्य क्या है ? इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको क्रमश: प्राप्त करके तेरहद्वीप की…
“…भगवान पार्श्वनाथ दशावतार नाटक…” भगवान पार्श्वनाथ दशावतार नाटक वङ्काघोष हाथी (दूसरा भव) शशिप्रभ देव (तीसरा भव) अग्निवेग विद्याधर (चौथा भव) अच्युत स्वर्ग में विद्युतप्रभ देव (पाँचवां भव) चक्रवर्ती वङ्कानाभि (छठा भव) मध्यम ग्रैवेयक में अहमिन्द्र (सातवाँ भव) राजा आनन्द (आठवाँ भव) आनतेन्द्र (नवमाँ भव) भगवान पार्श्वनाथ (दसवाँ भव) क्षमा के अवतार-भगवान पार्श्वनाथ भजन
भजन तर्ज-कांची हो कांची रे……………. आया है आया पार्श्वनाथ का महोत्सव, करना है काम दिल खोल के। आया तृतीय सहस्राब्दी महोत्सव, पारस प्रभू की जय बोल के।।टेक.।। तेइसवें तीर्थंकर पारसनाथ प्रभो, अश्वसेन वामा माँ के लाल प्रभो। माता-पिता धन्य हुए, जिनवर के जन्म से, बैठे थे भण्डार खोल के।। आया है……।।१।। चिन्तामणि संकटमोचन कहते सभी,…
क्षमा के अवतार-भगवान पार्श्वनाथ रचयित्री-ब्र. कु. इन्दु जैन (संघस्थ) सुनो बंधुओं आज तुम्हें मैं इक इतिहास सुनाती हूँ। क्षमा क्रोध के द्वन्द की मैं रोमांचक कथा बताती हूँ।। है नगरि अयोध्या अवधपुरी में शाश्वत जन्मभूमि मानी। इतिहास पुराणों में इसकी गौरव गाथा वर्णित जानी।।१।। पर वर्तमान में काल अभी हुण्डावसर्पिणी आया है। अघटित घटनाएँ हों…
भगवान पार्श्वनाथ (दसवाँ भव) निर्देशक-(वाराणसी नगरी में महाराज अश्वसेन अपने सिंहासन पर स्थित हैं-बंदीगण महाराज के अगणित गुणों का बखान कर रहे हैं तथा समय-समय पर मंत्रीगण राज्य की सुव्यवस्था और प्रजा के सुख वैभव का वर्णन करते हुए महाराज को प्रसन्न कर रहे हैं। इसी बीच सौधर्म स्वर्ग में अपनी सुधर्मा सभा में बैठे…