त्रैलोक्य विधान की आरती
त्रैलोक्य विधान की आरती तर्ज-क्यों न ध्यान लगाए, वीर से बावरिया…………. कर लो सकल नरनार, प्रभूजी की आरतिया। करती है भव से पार, श्री जी की आरतिया।।टेक.।। तीनों लोकों में तू घूमा, लेकिन जीवन प्रभु बिन सूना। जीवन में लाती बहार, प्रभूजी की आरतिया।।कर लो.।।१।। आठ करोड़ लक्ष छप्पन हैं, सहस सतानवे चार शतक हैं।…