भजन
भजन -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती तर्ज-माई रे माई………. पुष्पदंत प्रभु जन्मभूमि में, गूँज उठी शहनाई। सौ-सौ वर्षों बाद जहाँ, खुशियों की बेला आई।। जिनवर पुष्पदंत की जय, उनकी जन्मभूमि की जय.।।टेक.।। काकंदी वह पुण्यभूमि है, पुष्पदंत जहाँ जनमे। जयरामा सुग्रीव मात-पितु हर्षे थे निज मन में।। इन्द्रों की टोली स्वर्गों से, काकंदी में आई। सौ-सौ वर्षों…