कल्याण मंदिर विधान
“…कल्याण मंदिर विधान…” मंगलाचरण कल्याणमंदिर विधान पूजा अथ प्रत्येक अर्घ्य प्रशस्ति कल्याण मंदिर विधान की मंगल आरती भजन कल्याणमन्दिरस्तोत्रपूजा श्रीपार्श्वनाथस्तवन
“…कल्याण मंदिर विधान…” मंगलाचरण कल्याणमंदिर विधान पूजा अथ प्रत्येक अर्घ्य प्रशस्ति कल्याण मंदिर विधान की मंगल आरती भजन कल्याणमन्दिरस्तोत्रपूजा श्रीपार्श्वनाथस्तवन
श्रीपार्श्वनाथस्तवन (सोरठा छंद) पारस प्रभु को नाऊँ, सार सुधासम जगत में। मैं बाकी बलि जाऊँ, अजर अमर पद मूल यह।। हरिगीता छंद (२८ मात्रा) राजत उतंग अशोक तरुवर, पवन-प्रेरित थर-हरै। प्रभु निकट पाय प्रमोदनाटक, करत मानो मन हरै।। तस फूल गुच्छन भ्रमर गुंजत, यही तान सुहावनी। सो जयो पार्श्व जिनेन्द्र पातक, हरन जग चूड़ामनी।। निज…
कल्याणमन्दिरस्तोत्रपूजा (संस्कृत विधान) पूर्व-पीठिका श्रीमद्गीर्वाणसेव्यं प्रबलतरमहा-मोहमल्लातिमल्लं। कान्तं कल्याणनाथं, कठिनशठमनो-जातमत्तेभसिंहम्।। नत्वा श्रीपार्श्वदेवं, कुमुदविधुकृतो, रम्यकल्याणधाम्न। स्तोत्रस्योच्चैर्विशालं, विधिवदनुपम, पूजनं कथ्यतेऽत्र।। पंचवर्णेन चूर्णेन, कर्त्तव्यं कमलं वरं। वेदवार्धिकरं वेद्यां, कर्णिकामध्यमं बुधै:।। धौतवस्त्रधर: प्राज्ञ:, श्लेष्मादिव्याधिवर्जित:। बाह्याभ्यन्तर-संशुद्धो, जिनपूजा-विधानवित्।। गुरोराज्ञां विधायोच्चं, शिरस्या-दरतस्तत:। पृष्ट्वा सङ्घपतिं पूजा-प्रारंभ: क्रियतेऽञ्जसा।। आदौ गन्धकुटीपूजां, विधायामल-वस्तुभि:। पञ्चानामर्हदादीनां, ततोऽर्यां परमेष्ठिनाम्।। ततो गत्वा गुरोरग्रे, भारती-मुनि-पूजनं। कृत्वेलाशुद्धिकार्यं च, क्रमेणागमकोविदै:।। ततोऽम्लानां च सामग्रीं, कृत्वा…
भजन -प्रज्ञाश्रणमी आर्यिका चंदनामती तर्ज-दीदी तेरा देवर दीवाना….. जिनवरों में जिनवर हैं प्यारे, पारसनाथ माता वामा के दुलारे। तेइसवें तीर्थंकर हमारे, पारसनाथ माता वामा के दुलारे।।टेक.।। जय जय हो, जय जय पारसनाथ जी।। वाराणसी में जनम जब हुआ, अश्वसेन महल जगमगाने लगा था। जिनवर रवी का उदय जब हुआ, तो मिथ्यात्व का अंधकार भगा था।।…
कल्याण मंदिर विधान की मंगल आरती -ब्र. कु. आस्था जैन (संघस्थ) तर्ज-नागिन…………..। जय जय प्रभुवर, जय जय जिनवर की, मंगल दीप प्रजाल के मैं आज उतारूँ आरतिया…. कुमुदचंद्र आचार्यप्रवर ने, इक स्तोत्र रच डाला। पार्श्वनाथ की महिमा का है, चमत्कार दिखलाया।।प्रभू जी…। प्रभु पार्श्वनाथ की, भक्ती में, मन मगन हुआ मुनिराज का, मैं आज उतारूँ…
प्रशस्ति….. श्री वीरप्रभू निर्वाण वर्ष, पच्चिस सौ तेंतिस सुखकारी। आश्विन शुक्ला१ दशमी की तिथि है, जग में अति मंगलकारी।। उस दिन विधान यह पूर्ण किया, निजगुरु की छत्रच्छाया में। शुभ तीर्थ हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप की शीतल छाया में।।१।। बीसवीं सदी के प्रथम सूरि, आचार्य शांतिसागर जी थे। उन प्रथम शिष्य अरु पट्टसूरि, आचार्य वीरसागर जी…
अथ प्रत्येक अर्घ्य दोहा— कुमुदचंद्र आचार्य ने, रचा स्तोत्र महान। मैं भी पूजन के निमित्त, करूँ पार्श्व गुणगान।। अथ प्रथमवलये अष्टकोष्ठोपरि पुष्पांजलिं क्षिपेत् । —वसंततिलका छंद— (१) कल्याणमन्दिरमुदारमवद्य – भेदि – भीताभय – प्रदमनिन्दितमङ्घ्रिपद्मम्। संसारसागर – निमज्जदशेष-जन्तु- पोतायमानमभिनम्य जिनेश्वरस्य।।१।। —कुसुमलता छंद— पारस प्रभु कल्याण के मंदिर, निज-पर पाप विनाशक हैं। अति उदार हैं भयाकुलित, मानव…
कल्याणमंदिर विधान पूजा स्थापना-शंभु छंद हे प्रभुवर पारस नाथ! तुम्हीं, कल्याण के मंदिर कहलाते। सब कार्यों की सिद्धी हेतु, सब भव्य तुम्हारे गुण गाते।। श्री कुमुदचन्द्र आचार्य रचित, स्तोत्र पाठ का अर्चन है। सबसे पहले निज हृदय महल में, आह्वानन स्थापन है।।१।। दोहा निज आतम का ध्यान कर, किया स्व पर कल्याण। बने पंचकल्याणपति, पार्श्वनाथ…
जिन सहस्रनाम मंत्र…. जिनसहस्रनाम मंत्र जिनसहस्रनाम पूजा सहस्रनाम व्रत विधि सरस्वती स्तोत्र जिनवाणी स्तुति सरस्वती देवी के १०८ मंत्र सरस्वती पूजा ज्ञान पचीसी व्रत विधि
ज्ञान पचीसी व्रत विधि ज्ञान पचीसी व्रत में ग्यारस के ग्यारह उपवास और चौदश के चौदह उपवास ऐसे कुल पचीस व्रत होते हैं। यह व्रत ग्यारह अंग और चौदह पूर्वरूप ज्ञान की आराधना के लिए किया जाता है। इसको श्रावण सुदी चतुर्दशी से करने का विधान है। मतांतर से इस व्रत में दशमी के दश…