श्री पुष्पदंतनाथ जिन स्तोत्र
श्री पुष्पदंतनाथ जिन स्तोत्र -गणिनी आर्यिका ज्ञानमती त्रैलोक्यपति देवेन्द्र नमित, साधूगण वंद्य सदा जिनवर। सुख आत्माधीन अचल तव है, स्थान भ्रमण विरहित सुस्थिर।। तव कीर्तिलता त्रिभुवन व्यापी, औ सिद्धि रमा तव चरणरता। तव दिव्यसुधावच भव जलधि, से तिरने को उत्तम नौका।।१।। काकंदी में सुग्रीव पिता, माता जयरामा जग पूजित। फाल्गुनवदि नवमी के दिन प्रभु, गर्भावतरण…