राजगृही तीर्थ की आरती(B)
राजगृही तीर्थ की आरती(B) तर्ज—करती हूँ तुम्हारी पूजा………….. करते हैं तीर्थ की आरति, आतम ज्योति जलेगी। मुनिसुव्रत प्रभु की अर्चा, भव के क्लेश हरेगी।। जय राजगृही जी-२।।टेक.।। इस नगरी के गिरिव्रज, वसुमति, कई नाम शास्त्र में हैं। इतिहास जुड़े हैं कई यहां से, तीर्थ धरोहर हैं।। पावन भूमी की यशगाथा, यशवृद्धि करेगी।।मुनिसुव्रत.।।१।। हुए वर्ष करोड़ों…