नवग्रह शांति विधान की आरती
नवग्रह शांति विधान की आरती तर्ज—चाँद मेरे आ जा रे……………. आरती नवग्रह स्वामी की-२ ग्रह शांति हेतू, तीर्थंकरों की, सब मिल करो आरतिया।।टेक.।। आत्मा के संग अनादी, से कर्मबंध माना है। उस कर्मबंध को तजकर, परमातम पद पाना है। आरतीr नवग्रह स्वामी की।।१।। निज दोष शांत कर जिनवर, तीर्थंकर बन जाते हैं। तब ही परग्रह…