स्वयंभू स्तोत्र भाषा
स्वयंभू स्तोत्र भाषा -चौपाई- राजविषै जुगलनि सुख कियो, राजत्याग भवि शिवपद लियो। स्वयंबोध स्वयंभू भगवान, बंदौ आदिनाथ गुणखान।।१।। इंद्र क्षीरसागर जल लाय, मेरु न्हवाये गाय बजाय। मदनविनाशकसुखकरतार, बंदौअजित अजित-पदकार।।२।। शुक्लध्यानकरि करमविनाशि, घाति अघाति सकलदु:खराशि। लह्यो मुकतिपद सुख अविकार, बंदौं संभव भव दु:ख टार।।३।। माता पश्चिम रयनमंझार, सुपने देखे सोलह सार। भूप पूछि फल सुनि हरषाय,…