ज्योतिर्लोक जिनालय स्तोत्र
ज्योतिर्लोक जिनालय स्तोत्र -गणिनी ज्ञानमती -शंभु छंद- पृथ्वी से सात शतक नब्बे, योजन ऊपर ज्योतिष सुर हैं। रवि शशि ग्रह नखत और तारे, ये पाँच भेद ज्योतिष सुर हैं।। सबके विमान में जिनमंदिर, मणिमय शाश्वत जिनप्रतिमायें। उनको मैं भक्ती से वंदूँ, ये मोक्षमार्ग को दिखलायें।।१।। –गीता छंद– जय जय जिनेश्वर धाम जग में, इंद्र सौ…