मेरी भावना
मेरी भावना (रचयिता-आचार्य जुगलकिशोर मुख्तार) जिसने राग द्वेष कामादिक जीते सब जग जान लिया। सब जीवों को मोक्षमार्ग का निस्पृह हो उपदेश दिया।। बुद्ध, वीर, जिन, हरि, हर, ब्रह्मा, या उसको स्वाधीन कहो। भक्ति-भाव से प्रेरित हो यह चित्त उसी में लीन रहो।।१।। विषयों की आशा नहिं जिनके साम्य-भाव धन रखते हैं। निज-परके हित-साधन में…