श्री वीरजिन स्तुति
“…श्री वीरजिन स्तुति…” महावीर वीर सन्मति भगवन् ! अतिवीर सदा मंगल करिये। हे वर्धमान! भव वारिधि से, अब मुझको पार तुरत करिये।। वह कुंडलपुरि जग पूज्य हुई, सिद्धार्थ दुलारे जन्मे थे। प्रियकारिणि माँ की गोदी में, त्रिभुवन के गुरुवर खेले थे।।१।। आषाढ़ सुदी छठ पूज्य हुई, जब गर्भ में प्रभु अवतार लिया। माता त्रिशला की…