(सांख्य द्वारा मान्य प्रमाण का खंडन)
(सांख्य द्वारा मान्य प्रमाण का खंडन) सांख्य-‘इन्द्रियवृत्ति: प्रमाणं’-इंद्रियों का व्यापार ही प्रमाण है। जैन-प्रमाण का यह लक्षण भी असंभव है, क्योंकि अचेतन रूप होने से यह भी विशेष नहीं है सन्निकर्ष के समान। बात यह है कि इंद्रियों का व्यापार का आप क्या अर्थ करते हैं-उन्मीलन आदि व्यापार या संशयादि का निराकरण। प्रथम पक्ष में…