श्री चन्द्रप्रभजिन स्तुति
श्री चन्द्रप्रभजिन स्तुति….. भव वन में घूम रहा अब तक, किंचित् भी सुख नहिं पाया हूँ। प्रभु तुम सब दु:ख के ज्ञाता हो, अतएव शरण में आया हूँ।। सुरपति गणपति नरपति नमते, तव गुणमणि की बहुभक्ति लिए। मैं भी नत हूँ तव चरणों में, अब मेरी भी रक्षा करिये।।१।। काशी में चन्द्रपुरी सुन्दर, रत्नों की…