श्री ऋषिमण्डल पूजा भाषा
श्री ऋषिमण्डल पूजा भाषा -स्थापना-दोहा- चौबिस जिनपद प्रथम नमि, दुतिय सुगणधर पाय। त्रितिय पंच परमेष्ठि को, चौथे शारद माय।। मन वच तन ये चरन युग, करहुँ सदा परनाम। ऋषि मण्डल पूजा रचों, बुधि बल द्यो अभिराम।। -अडिल्ल छंद- चौबिस जिन वसु वर्ग पंच गुरु जे कहे। रत्नत्रय चव देव चार अवधी लहे।। अष्ट ऋद्धि चव…