रत्नत्रय पूजा
रत्नत्रय पूजा चहुँगति-फनि-विष-हरन-मणि, दु:ख-पावक-जल-धार। शिव-सुख-सुधा-सरोवरी, सम्यक्-त्रयी निहार।। ॐ ह्रीं सम्यक्रत्नत्रयधर्म! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं सम्यक्रत्नत्रयधर्म! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं। ॐ ह्रीं सम्यक्रत्नत्रयधर्म! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधीकरणं। -अष्टक (सोरठा छंद)- क्षीरोदधि उनहार, उज्ज्वल जल अति सोहनो। जनम-रोग निरवार, सम्यक् रत्न-त्रय भजूँ।।१।। ॐ ह्रीं सम्यक्रत्नत्रयाय जन्मरोगविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।…