आओ जानें तीनलोक
“…तीन लोक रचना…” त्रैलोक्यं मंगलं भूयात्, मंगलं नवदेवता:। मंगलं जिनचैत्यानि, शान्तिनाथोऽस्तु मंगलम्।।१।। यह तीनलोक रचना अनादिनिधन है-शाश्वत है। इसे न तो किन्हीं ने बनाया है और न कोई इसका नाश ही कर सकते हैं। ऐसा जैन शास्त्रों में कहा है। यह चौदह राजु ऊँचा है, सात राजु मोटा है और नीचे सात राजु चौड़ा है,…