भरत जी घर में वैरागी : काव्य कथानक
भरतस्य भारतम्- भरतस्य भारतम् जय भारतं जय भारतं जय भारतं जय भारतं भरतस्य भारतम्-२ जयति जय जय चक्रवर्ती भरत जिन का भारतम्। जयति जय जय ऋषभप्रभु के पुत्र भरत का भारतम्।। रत जहाँ तल्लीन तन्मय भा-प्रभा अध्यात्म में। ऋषि मुनी तीर्थेश भी तन्मय रहें निज आत्म में।। भरत के वैराग्य से सार्थक सुनाम है भारतम्।।…