चतुर्थ अध्याय का भजन
चतुर्थ अध्याय का भजन हे वीतराग सर्वज्ञ देव! तुम हित उपदेशी कहलाते। तव गुणमणि की उपलब्धि हेतु, हम भी प्रभु तेरे गुण गाते।।टेक.।। तत्त्वार्थसूत्र अध्याय चतुर्थ में, ऊर्ध्वलोक का वर्णन है। देवों के चार भेद एवं, उनकी स्थिति का वर्णन है।। वे भवनवासि व्यंतर ज्योतिष, वैमानिक नामसे कहलाते। तव गुणमणि की उपलब्धि हेतु, हम भी…