उत्तम क्षमा धर्म
उत्तम क्षमा धर्म…. उत्तम—खम मद्दउ अज्जउ सच्चउ, पुणु सउच्च संजमु सुतउ। चाउ वि आिंकचणु भव—भय—वंचणु बंभचेरू धम्मु जि अखउ।। उत्तम—खम तिल्लोयहँ सारी, उत्तम—खम जम्मोदहितारी। उत्तम—खम रयण—त्तय—धारी, उत्तम—खाम दुग्गइ—दुह—हारी।। उत्तम—खम गुण—गण—सहयारी, उत्तम खम मुणििंवद—पियारी। उत्तम—खम बुहयण—चिन्तामणि, उत्तम—खम संपज्जइ थिर—मणि।। उत्तम—खम महणिज्ज सयलजणि उत्तम—खम मिच्छत्त—तमो—मणि। जिंह असमत्थहं दोसु खमिज्जइ जिंह असमत्थहंण उ रूसिज्जइ।। जिंह आकोसण वयण सहिज्जइ,जहिं…