दशलक्षण पूजा
दशलक्षण पूजा -गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी -स्थापना (शंभु छंद)- तीर्थंकर मुख से प्रगटे ये, दशलक्षण धर्म सौख्यकारी। ये मुक्तिमहल की सीढ़ी हैं, सब जन मन को आनंदकारी।। वर क्षमा-मार्दव-आर्जव-सत्य-शौच-संयम-तप-त्याग तथा। आिंकचन ब्रह्मचर्य उत्तम इन पूजत मिटती सर्व व्यथा।।१।। -दोहा- उत्तम दशविध धर्म ये, धरें सूर्य सम तेज। आह्वानन विधि से जजूँ, खिले स्वगुण पंकेज।।…