द्वितीय काल
द्वितीय काल इसके बाद सुषमा नामक काल प्रवेश करता है। इस काल के प्रथम प्रवेश में मनुष्य तिर्यंचों की आयु आदि पूर्व के ही समान होती है परन्तु काल स्वभाव से उत्तरोतर बढ़ती जाती है। उस समय के नर-नारी दो कोस ऊँचे, पूर्ण चंद्रमा के सदृश मुख वाले, बहुत विनय एवं शील से सम्पन्न होते…