शांतिनाथ चरित्र
शांतिनाथ चरित्र
षट्खण्डागम-सिद्धान्तचिंतामणि टीका एक दिव्य उपहार
शिक्षास्पद कहानियाँ (खेल में भी केसा मेल) जम्बूद्वीप भी पूज्य है ! जिनधर्म का प्रभाव भगवान से प्रार्थना प्रतिज्ञा अक्षय तृतीया पर्व का महत्त्व आत्मनिन्दा सबसे बड़ा प्रायश्चित्त है केसा है कल्पद्रुम मंडल विधान औषधिदान का महत्त्व औषधिदान का महत्त्व भगवान की पूजा से सर्व मनोरथ सिद्ध होते हैं
शिक्षास्पद कहानियाँ मांसाहार से हानि मद्यपान से हानि वेश्यासेवन से हानि शिकार खेलना पाप है चोरी करना महापाप है रावण का नाम बुरा क्यों है ?
जम्बूद्वीप, तेरहद्वीप एवं तीनलोक रचना (संक्षिप्त परिचय) हस्तिनापुर में निर्मित जम्बूद्वीप रचना में- १. सुदर्शनमेरु नाम से सुमेरु पर्वत एक है। २. अकृत्रिम ७८ जिनमंदिर में ७८ जिनप्रतिमाएँ हैं। ३. १२३ देवभवनों में १२३ जिनप्रतिमाएं विराजमान हैं। ४. श्रीसीमंधर आदि तीर्थंकर के ६ समवसरण हैं। ५. हिमवान आदि ६ पर्वत हैं। ६. भरत, हैमवत, हरि,…
हस्तिनापुर का संक्षिप्त परिचय भगवान ऋषभदेव समय-चतुर्थकाल प्रारंभ होने में चौरासी लाख पूर्व वर्ष, तीन वर्ष, आठ माह, एक पक्ष काल शेष रहने पर जन्मभूमि-अयोध्या आगमन-सर्वार्थसिद्धि विमान से पिता-चौदहवें कुलकर नाभिराय माता-महारानी मरुदेवी गर्भावतरण-आषाढ़ कृष्णा द्वितीया। उत्तराषाढ़ नक्षत्र जन्म-चैत्र कृष्णा नवमी, उत्तराषाढ़ नक्षत्र नाम-ऋषभदेव, वृषभदेव, आदिनाथ, पुरुदेव, आदिपुरुष, आदिब्रह्मा, प्रजापति, युगस्रष्टा आदि। आयु-चौरासी लाख पूर्व…
महाभारत इसी कुरुजांगल देश के हस्तिनापुर नगर में परम्परागत कुरुवंशियों का राज्य चला आ रहा था। उन्हीं में शांतनु नाम के राजा हुए उनकी ‘सबकी’ नाम की रानी से ‘पराशर’ नाम का पुत्र हुआ। रत्नपुर नगर के जन्हु नामक विद्याधर राजा की ‘गंगा’ नाम की कन्या थी। विद्याधर राजा ने पराशर के साथ गंगा का…
मुनिराज गुरुदत्त राजा गुरुदत्त हस्तिनापुर का स्वामी था जो न्यायपूर्वक प्रजा का पालन करता था। एक दिन प्रजा से यह सुनकर कि एक व्याघ्र प्रतिदिन नगर में आता है और जीवों का विध्वंस कर बड़ा दुख देता है, राजा गुरुदत्त को बड़ा क्रोध आया। वह शीघ्र सेना लेकर द्रोणीमान पर्वत पर, जहाँ कि वह व्याघ्र…